बहुत कम ही लोग जानते है कि अपना जिला शाहजहाँपुर आध्यात्मिक दृष्टी से भी
अत्यंत समृद्ध है।चर्चा पौराणिक काल से ही मिलती है जब श्रृंगी ऋषि को
श्राप मिला और उनकी नाक पर सींग उग आया और पश्चाताप करने हेतू जब वे गंगा
किनारे चलते चलते अपने जिले की सीमा में आये तो घटिया घाट पर वो सींग घट
गया और ढाई घाट पर ढह गया।यद्यपि यह सांकेतिक कथा हो सकती है वास्तव में
उनका अहंकार बढ गया होगा और गंगा किनारे
चलते चलते तपस्वियो के साक्षात्कार के बाद अह खत्म हुआ होगा।जो भी हो लेकिन
इस बात के स्पस्ट प्रमाण है कि कलांन,मिर्जापुर के।इलाके में एक समृद्ध
संत परम्परा रही है।देत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोस्थल पटना देवकली हो या
जमदग्नि,परशुराम का स्थान जलालबाद सबके सब रामगंगा और गंगा जी के किनारे ही
बसे है।इन दोनों नदियो के पावन किनारे पर ही आधुनिक समय में आध्यात्मिकता
की महान विभूति परमसंत श्री त्यागी जी महराज की साधनास्थली रही है।आपका
जन्म जलालाबाद तहसील की ग्राम पंचयत टॉपर में हुआ।आपने सुप्रसिद्ध क्विन्स
कालेज,बनारस से एम्.एड तक शिक्षा ग्रहण की।शीघ्र ही आपने मानवता के कल्याण
के लिए आध्यात्मिकता का मार्ग चुन लिया।इक्कीस वर्षो तक आपने तपस्या कर
ज्ञान और शक्तिओ का अर्जन किया।आपके चमत्कारो की घटनाये सुनाते बहुत से लोग
मिल जाते है। कहा तो यह भी जाता है कि आप अपने शरीर पर गरूत्वाकर्षण के
प्रभाव को शून्य करने की विद्या जानते थे जिसकी सहायता से आप हवा में उड
लेते थे।डॉ आफताब अख्तर ने आपकी आध्यात्मिक शक्तिओ और जीवन पर एक वृतचित्र
का निर्माण भी किया है।विभिनन जन आंदोलनों का नेतृत्व कर आपने ढाईघाट और
कोल्हाघट के पुलो का निर्माण कराया।वर्ष 2002 में आप ने पार्थिव देह का
परित्याग कर दिया।
आपको टॉपर स्वामी,कारव बाबा,त्यागी जी महराज,दूधा बाबा,कालेकंठ वाले बाबा आदि नामो से भी पुकारा जाता है।
'शाहजहाँपुर-सिटीजन ग्रुप की ओर से आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम हैं।'
(Dr.Vikas Khurana/Dr.Prashant Agnihotri)
आपको टॉपर स्वामी,कारव बाबा,त्यागी जी महराज,दूधा बाबा,कालेकंठ वाले बाबा आदि नामो से भी पुकारा जाता है।
'शाहजहाँपुर-सिटीजन ग्रुप की ओर से आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम हैं।'
(Dr.Vikas Khurana/Dr.Prashant Agnihotri)