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शनिवार, 15 अगस्त 2015

आजादी की कहानी

*आजादी की कहानी*
(डॉ विकास खुराना,अध्यक्ष-इतिहास विभाग,एस.एस.कालेज,शाहजहाँपुर)
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1857 के बाद से ही अंग्रेजी सरकार की यह सोच बन गयी थी कि मुसलमान अपनी खोयी सत्ता दुबारा प्राप्त करना चाहते है।फलस्वरूप् मुसलमानो का दमन शुरू हुआ दूसरी ओर हिन्दुओ ने नयी शिक्षा नीति का भरपूर फायदा उठाया और अगले बीस वर्षो में कांग्रेस जैसा अखिल भारतीय संघटन खडा हो गया।ठीक इसी समय सरकार ने मुसलमानो का उपयोग रास्ट्रवादी आंदोलन के खिलाफ करने की सोची ओर लार्ड मिन्टो की गुप्त योजना से लीग अस्तित्व में आई।मुसलमानो को भरात्मक प्रतिनिधित्व दिया गया।1937 में देश में पहले आम चुनाव हुए इस चुनाव में लीग को केवल दो ही सीटे मिल सकी।मुहमद अली जिन्नाह ने नेहरू को पत्र लिखा कि आज साबित हो गया है देश में दो ही ताकते है अंग्रेज और कांग्रेस तो आइये हम मिलकर सरकार बनाये।नेहरू ने भारी भूल करते हुए लीग के कांग्रेस में विलय की शर्त रख दी।जिन्नाह ने इसे अपने खत्म होने का संकेत माना और कांग्रेस पर आरोप लगाने लगा कि यह मुसलमानो की विरोधी संस्था है और इस्लाम खतरे में है।लिहाजा मुसलमान लीग के नीचे आ गए,पृथक पाकिस्तान की आवाज उठी और उसके लिए अमानवीय उपक्रम किये गए।16 सितम्बर को जिनाह ने प्रत्यक्ष कार्यवाही का एलान किया गया।इस दिन कलकत्ता की मुस्लिम सरकार ने हिन्दुओ पर हमले किये कोई 7000 लोग इस दिन मारे गए।शीघ्र ही पूरा देश साम्प्रदयिक दंगो में फस गया। लडाई पद की ही थी नेहरू और जिन्नाह की खामियाजा देश भुगत रहा था।बम्बई में जिन्नाह के डॉक्टर ने नेहरू को पत्र लिखा कि जिन्नाह को केंसर है इसे प्रधानमंत्री बन जाने दो,यह ज्यादा दिन जिन्दा नहीं रहेगा फिर सारा देश आपका ही है।नेहरू नहीं माने।इन परिस्थितिओ में भारत का विभाजन हो गया।इतिहास यह बताता है कि कैसे नेताओ का अहम् लोगो को भीषण स्थितियो में डाल देता है,हम लोग कुछ समझ सके तब तो?
बहरहाल पंजाबी समुदाय जिन्होंने सबसे ज्यादा नुकसान उठाया उनकी ओर से आजादी मुबारक!

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