SHAHJAHANPUR CITIZEN
सोमवार, 29 अगस्त 2016
श्री पटना देवकली,शाहजहाँपुर (उ.प्र)
*श्री पटना देवकली,शाहजहाँपुर*
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जिला शाहजहाँपुर के विकास खंड कलान का आखिरी गाँव श्री पटना देवकली,ऐतिहासिक शिव मंदिर के लिए विख्यात है।अनुश्रुति है कि यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य का अश्राम था।गुरु शुक्राचार्य,परम शिव भक्त थे।कहा जाता है कि देवगुरु बृहस्पति ने भी अपने पुत्र को शिक्षा देने हेतु इसी गांव में भेजा था।यह भी कहा जाता है कि हिरण्यकश्यपु के पुत्र भक्तराज प्रह्लाद की शिक्षा भी यही हुई।इस स्थान पर एक कुआ है जिसका नाम ययाति कूप है।गंगा किनारे लगे कलान,मिर्जापुर क्षेत्र ढाईघाट,घटिया घाट,भगवान परशुराम जन्म स्थल एवम् संतो,महाऋषियों की हर काल में उपस्थिति इस तथ्य का प्रमाण है कि जिला शाहजहाँपुर,युगों युगों से अत्यंत धार्मिक,ऐतिहासिक महत्त्व का रहा है।पुरातत्विक अनुसंधानों की इस जिले में महती आवश्यकता है।Dr Vikas Khurana
Head,Deptt of History
SS (PG)College,Shahjahanpur(U.P)
Photo-Taslim Ansari,Sect.In.Charge,Shahjahanpur Citizen Public Group.
शाहजहाँपुर नामा भाग:1
*शाहजहाँपुरनामा:भाग,1*
(चिनौरगढ़ी की लड़ाई)
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अभी हाल ही में खैबर आर्गेनाईजेशन के तत्वाधान में पूरी दुनिया के अफ़ग़ानों की तारीख को क्रमबद्ध करने के प्रयास शुरू हुए है। इसमें शाहजहाँपुर की तारीख भी शामिल है।'अख़बार-ए-मुहब्बत' 'अनवार उल बहर जैसी तारीखी किताबो के हवाले से शहर में पठानो की आमद और शहर के बसने के बारे में जानकारी मिलती है।
नवाब दिलेर खान और नवाब बहादुर खान के वालिद दरयाखान,मुग़ल बादशाह जहांगीर की फ़ौज में उच्च पद पर पहुचे थे।शाहजहाँ के समय आपको कालपी और कन्नौज का जागीरदार बनाया गया।
सन् 1647 में जब कांट के पास उपद्रवी राजपूतो ने शाही खजाने को लूटा तो फरमान जारी कर दिलेरखान को क्षेत्र में भेजा गया ताकि उपद्रवियों को सजा दी जा सके।
राजपूतो और पठानों में चिनौर गढ़ी में बड़ी लड़ाई हुई जिसमे 13000 राजपूत और 1100 पठान शहीद रहे।निश्चित ही राजपूतो की संख्या इससे कम ही रही होगी जो मुस्लिम स्रोत बताते है।पठानों की जीत ने शहर की अधारशीला रखी।मुगल बाद्शाह द्वारा दिलेर खान को चौदह गाँव उपहारस्वरूप दिए गए और एक किला बनाने की अनुमति।नवाब दिलेर खान ने तदुपरांत दिलवरगंज और बहादुर गंज बसाये।पठानों की आमद बढ़ने से शहर में उनके कबीलो के अनुसार 52 मोहल्ले बसे।दिलावर खान ने अपने भाई नवाब बहादुर खान को इस क्षेत्र का प्रशासन सौप दिया।नवाब बहादुर खान भी यहाँ कम ही रुक पाये।जल्दी ही उत्तरपश्चिम में हुई मुग़ल और बल्ख लड़ाई में वे मारे गये।उनके पुत्रो की संख्या बीस थी।सन् 1857 तक नवाब का टाइटल उनके परिवार के पास था जो बाद में छिन गया।आज भी शहर के अनेक परिवार नवाब बहादुरखान की पीढ़ियों में से है।
क्रमश्
डॉ विकास खुराना-अध्यक्ष,इतिहास विभाग,एस एस (पी.जी) कालेज,शाहजहाँपुर (उ प्र)
(चिनौरगढ़ी की लड़ाई)
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अभी हाल ही में खैबर आर्गेनाईजेशन के तत्वाधान में पूरी दुनिया के अफ़ग़ानों की तारीख को क्रमबद्ध करने के प्रयास शुरू हुए है। इसमें शाहजहाँपुर की तारीख भी शामिल है।'अख़बार-ए-मुहब्बत' 'अनवार उल बहर जैसी तारीखी किताबो के हवाले से शहर में पठानो की आमद और शहर के बसने के बारे में जानकारी मिलती है।
नवाब दिलेर खान और नवाब बहादुर खान के वालिद दरयाखान,मुग़ल बादशाह जहांगीर की फ़ौज में उच्च पद पर पहुचे थे।शाहजहाँ के समय आपको कालपी और कन्नौज का जागीरदार बनाया गया।
सन् 1647 में जब कांट के पास उपद्रवी राजपूतो ने शाही खजाने को लूटा तो फरमान जारी कर दिलेरखान को क्षेत्र में भेजा गया ताकि उपद्रवियों को सजा दी जा सके।
राजपूतो और पठानों में चिनौर गढ़ी में बड़ी लड़ाई हुई जिसमे 13000 राजपूत और 1100 पठान शहीद रहे।निश्चित ही राजपूतो की संख्या इससे कम ही रही होगी जो मुस्लिम स्रोत बताते है।पठानों की जीत ने शहर की अधारशीला रखी।मुगल बाद्शाह द्वारा दिलेर खान को चौदह गाँव उपहारस्वरूप दिए गए और एक किला बनाने की अनुमति।नवाब दिलेर खान ने तदुपरांत दिलवरगंज और बहादुर गंज बसाये।पठानों की आमद बढ़ने से शहर में उनके कबीलो के अनुसार 52 मोहल्ले बसे।दिलावर खान ने अपने भाई नवाब बहादुर खान को इस क्षेत्र का प्रशासन सौप दिया।नवाब बहादुर खान भी यहाँ कम ही रुक पाये।जल्दी ही उत्तरपश्चिम में हुई मुग़ल और बल्ख लड़ाई में वे मारे गये।उनके पुत्रो की संख्या बीस थी।सन् 1857 तक नवाब का टाइटल उनके परिवार के पास था जो बाद में छिन गया।आज भी शहर के अनेक परिवार नवाब बहादुरखान की पीढ़ियों में से है।
क्रमश्
डॉ विकास खुराना-अध्यक्ष,इतिहास विभाग,एस एस (पी.जी) कालेज,शाहजहाँपुर (उ प्र)
शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह खान के प्रपोत्र सम्मानित
*शहीद अशफाक उल्ला खाँ के प्रपोत्र सम्मानित*
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भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कैम्पेन 'आजादी 70' के अंतर्गत आज स्वामी शुकदेवानन्द कालेज में शहीद अशफाक उल्लाह खान के प्रपोत्र अशफाक उल्ला खाँ को सम्मानित किया गया।इस अवसर पर अशफाक उल्लाह खाँ ने कहा कि जो देश अपने शहीदो के बलिदान को भूल जाता है,तारीख उसका नामोनिशा मिटा देती है।उन्होंने कहा कि शाहजहाँपुर शहर शहादत की धरती है।यह वो पवित्र भूमि है जिसमे शहीदों के सर दफ़न है।उन्होंने शहीदों के कई घटनाक्रम साझे करते हुए बताया कि फ़ैजाबाद जेल में फाँसी होने के बाद उनके पार्थिव शरीर को रेल द्वारा शाहजहाँपुर लाया गया था।हुकूमत की सख्ती के बावजूद लखनऊ स्टेशन पर चालीस हजार लोग उनके दर्शन को पहुँचे थे।शहीद अशफाक उल्लाह खाँ ने अपनी माँ को लिखे पत्र में कहा कि भारत माता की अमानत में ख्यानत मैं नही कर सकता।कालेज प्राचार्य डॉ ए के मिश्र,कला संकाय प्रभारी डॉ अलोक मिश्र,डॉ आदित्य सिंह,डॉ शालीन कुमार सिंह,डॉ आरबीएस यादव,डॉ श्रीकांत मिश्र,डॉ राम शंकर पाण्डेय इस अवसर पर उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन डॉ विकास खुराना ने किया।
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भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कैम्पेन 'आजादी 70' के अंतर्गत आज स्वामी शुकदेवानन्द कालेज में शहीद अशफाक उल्लाह खान के प्रपोत्र अशफाक उल्ला खाँ को सम्मानित किया गया।इस अवसर पर अशफाक उल्लाह खाँ ने कहा कि जो देश अपने शहीदो के बलिदान को भूल जाता है,तारीख उसका नामोनिशा मिटा देती है।उन्होंने कहा कि शाहजहाँपुर शहर शहादत की धरती है।यह वो पवित्र भूमि है जिसमे शहीदों के सर दफ़न है।उन्होंने शहीदों के कई घटनाक्रम साझे करते हुए बताया कि फ़ैजाबाद जेल में फाँसी होने के बाद उनके पार्थिव शरीर को रेल द्वारा शाहजहाँपुर लाया गया था।हुकूमत की सख्ती के बावजूद लखनऊ स्टेशन पर चालीस हजार लोग उनके दर्शन को पहुँचे थे।शहीद अशफाक उल्लाह खाँ ने अपनी माँ को लिखे पत्र में कहा कि भारत माता की अमानत में ख्यानत मैं नही कर सकता।कालेज प्राचार्य डॉ ए के मिश्र,कला संकाय प्रभारी डॉ अलोक मिश्र,डॉ आदित्य सिंह,डॉ शालीन कुमार सिंह,डॉ आरबीएस यादव,डॉ श्रीकांत मिश्र,डॉ राम शंकर पाण्डेय इस अवसर पर उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन डॉ विकास खुराना ने किया।
श्री कृष्ण शोभा यात्रा,झब्बू मंदिर-जलालनगर बजरिया शाहजहाँपुर।
*श्री कृष्ण शोभा यात्रा:झब्बू मंदिर,बजरिया*
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जलालनगर बजरिया स्थित झब्बू का मंदिर,शहर के तेली समुदाय से जुड़ा है।मंदिर से प्रतिवर्ष दो महा आयोजन सम्पादित होते है।होली जुलुस एवम् जन्मआष्ट्मी के दूसरे दिन श्री कृष्ण शोभा यात्रा।यह शोभा यात्रा विगत पचास वर्ष से अनवरत चल रही है।पहले जहाँ भगवान, चार कुम्हारो द्वारा उठाई गयी पालकी पर निकलते थे अब आप रथ,डीजे इत्यादि के साथ भ्रमण करते है।हजारो श्रद्धालु आप के दर्शन कर कृतार्थ होते है।
(Dr VIKAS Khurana)
शनिवार, 15 अगस्त 2015
संत शिरोमणी श्री त्यागी जी महराज
बहुत कम ही लोग जानते है कि अपना जिला शाहजहाँपुर आध्यात्मिक दृष्टी से भी
अत्यंत समृद्ध है।चर्चा पौराणिक काल से ही मिलती है जब श्रृंगी ऋषि को
श्राप मिला और उनकी नाक पर सींग उग आया और पश्चाताप करने हेतू जब वे गंगा
किनारे चलते चलते अपने जिले की सीमा में आये तो घटिया घाट पर वो सींग घट
गया और ढाई घाट पर ढह गया।यद्यपि यह सांकेतिक कथा हो सकती है वास्तव में
उनका अहंकार बढ गया होगा और गंगा किनारे
चलते चलते तपस्वियो के साक्षात्कार के बाद अह खत्म हुआ होगा।जो भी हो लेकिन
इस बात के स्पस्ट प्रमाण है कि कलांन,मिर्जापुर के।इलाके में एक समृद्ध
संत परम्परा रही है।देत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोस्थल पटना देवकली हो या
जमदग्नि,परशुराम का स्थान जलालबाद सबके सब रामगंगा और गंगा जी के किनारे ही
बसे है।इन दोनों नदियो के पावन किनारे पर ही आधुनिक समय में आध्यात्मिकता
की महान विभूति परमसंत श्री त्यागी जी महराज की साधनास्थली रही है।आपका
जन्म जलालाबाद तहसील की ग्राम पंचयत टॉपर में हुआ।आपने सुप्रसिद्ध क्विन्स
कालेज,बनारस से एम्.एड तक शिक्षा ग्रहण की।शीघ्र ही आपने मानवता के कल्याण
के लिए आध्यात्मिकता का मार्ग चुन लिया।इक्कीस वर्षो तक आपने तपस्या कर
ज्ञान और शक्तिओ का अर्जन किया।आपके चमत्कारो की घटनाये सुनाते बहुत से लोग
मिल जाते है। कहा तो यह भी जाता है कि आप अपने शरीर पर गरूत्वाकर्षण के
प्रभाव को शून्य करने की विद्या जानते थे जिसकी सहायता से आप हवा में उड
लेते थे।डॉ आफताब अख्तर ने आपकी आध्यात्मिक शक्तिओ और जीवन पर एक वृतचित्र
का निर्माण भी किया है।विभिनन जन आंदोलनों का नेतृत्व कर आपने ढाईघाट और
कोल्हाघट के पुलो का निर्माण कराया।वर्ष 2002 में आप ने पार्थिव देह का
परित्याग कर दिया।
आपको टॉपर स्वामी,कारव बाबा,त्यागी जी महराज,दूधा बाबा,कालेकंठ वाले बाबा आदि नामो से भी पुकारा जाता है।
'शाहजहाँपुर-सिटीजन ग्रुप की ओर से आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम हैं।'
(Dr.Vikas Khurana/Dr.Prashant Agnihotri)
आपको टॉपर स्वामी,कारव बाबा,त्यागी जी महराज,दूधा बाबा,कालेकंठ वाले बाबा आदि नामो से भी पुकारा जाता है।
'शाहजहाँपुर-सिटीजन ग्रुप की ओर से आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम हैं।'
(Dr.Vikas Khurana/Dr.Prashant Agnihotri)
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