(प्रस्तुति – विकास खुराना)
प्राचीन भारत के
इतिहास में अपने जिले की व्यापक चर्चा है।चाहे वैदिक कालीन प्रसंग रहे हो या
महाभारत काल,अपना जिला हमेशा
महत्वपूर्ण रहा।सम्बंधित पोस्ट हर्ष के बांसखेडा ताम्र अभिलेख पर है जो छठी सदी
ईस्वी के भारत का एक अति महत्वपूर्ण साक्ष्य माना जाता है।बांसखेड,कांट के कुरियाकला के दक्षिण में स्थित है।यह
अभिलेख 1894 में मिला था और
इसकी तिथि 628ईस्वी की है।इस
ताम्रपत्र से पता चलता है कि हर्ष ने अहिछत्र भुक्ति(बरेली डिवीजन) के अंतर्गत
अंगदिया विषय(शाहजहाँपुर जिला) का मर्कटसागर गांव सब करो से मुक्त कर भारद्वाज
गोत्र के दो ब्राह्मणों बालचंद और भटस्वामी को सौंप दिया था।वस्तुतः ब्राह्मणों को
जमीन सौपे जाने का प्रचलन तीसरी सदी ईसा पूर्व में सातवाहनों के समय से शुरू होता
है लेकिन तब केवल उनका दावा कर और राजस्व पर था।हर्ष काल तक यह दावा पुरे गाव,जमींन,यहाँ तक कि वहां के निवासियो तक विस्तृत हो गया।राजपूत काल
में इसमें तेजी आयी और पूरा उत्तर भारत व्यक्तिगत सम्पति के रूप में बाँट लिया
गया।इस परम्परा को सामंतवाद के नाम से जाना जाता है इसी के कारण गजनी के महमूद के
हमले सफल रहे और मुइज्जुदिन मुहम्मद बिन साम उर्फ शिहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी यहाँ
अपनी हुकूमत कायम कर सका।
इसी अभिलेख से
प्रसिद्ध घटना का जिक्र भी मिलता है जब देवगुप्त द्वारा हर्ष की बहन राज्यश्री के
पति ग्रहवर्मा की हत्या कर दी गयी। उसके भाई राजवर्धन ने सफलतापूर्वक देवगुप्त को
पराजित किया और अपनी बहन को तब बचाया जब वह जंगल में सती होने की तैयारी कर रही
थी। किन्तु बंगाल के शशांक द्वारा राजवर्धन की भी धोखे से हत्या कर दी गयी जिसके
बाद हर्ष का साम्राज्यवादी अभियान प्रारम्भ हुआ।
Photo.summary-statute of Raja Harsh and translation of
copper scripture.
सर हर्षवर्धन को परम…माहेश्वर इसी ताम्रपत्र में कहा गया है क्या कृपया उत्तर दीजिए सर
जवाब देंहटाएंहमें गर्व होता है अपनी इतिहासिक धरोहर पर हर्षवर्धन जैसा दानवीर कोई योद्धा ना हुआ
हटाएंहर्षवर्धन प्राचीन भारतीय इतिहास का अंतिम हिंदू सम्राट था
जवाब देंहटाएंहषर्वर्धन के दो ताम्र पत्र लिखा मिला है बांसखेड़ा और मधुबनी दोनों में भट्ट ब्रम्हणों को दान देने और जब तक उनका कुल रहे इन्हीं ब्राम्हणों के चरणों में ध्यान लगाने और दान देने की आज्ञा दी गई है।
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